सेक्स के प्रति सोच में आमूल परिवर्तन की जरूरत Sex Ke Prati Soch Me Aamul Privartan Ki Jarurat

  • यौन-संबंधों से जुड़ी महत्वपूर्ण भ्रांतियाँ

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    परिवर्तन ही सृष्टि का दस्तूर है। मगर हममें से अधिकांश लोगों का बचपन से ऐसी धारणा होती है कि दुनिया स्थिर और स्थाई है, जिसमें परिवर्तन एक दुखदायी अनुभव है। सब रोजमर्रा के काम हम अपनी आदतों के वशीभूत बिना सोचे समझे आसानी से कर लेते हैं। हमें अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना और उनमे परिवर्तन करना जोखिम भरा लगता है। बदलना हमें बहुत कठिन और असहज भी लगता है इसलिए हम नयी राह पर चलने में हिचकते हैं।
    आज दुनिया सब दिशाओं में तेज गति से बदल रही है। आज हम जिस राह पर खड़े हैं यह उन दूरदर्शी विद्वानों की वजह से है जिन्होंने अपने ज़माने से आगे सोचा और बदलाव को समाज में क्रियान्वित किया।
    अभी भी सेक्स के प्रति हमारी धारणाएँ पुराने सामाजिक एवम् धार्मिक सिद्धान्तों पर आधारित है जो समाज में पाखण्ड को जन्म देती हैं।
    हमें अब सेक्स के प्रति सोच में आमूल परिवर्तन करना जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं किशोरों और युवाओं के लिए कुछ व्यावहारिक सुझावों को प्रश्नोत्तर के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ।

     
    प्रेम और सेक्स के प्रति किशोर मन में कई प्रश्न उठते हैं। फिल्म, मीडिया और गलत पुस्तकों ने नौजवानों के दिमाग को और उलझा दिया है। नतीजन प्रेम और सेक्स के प्रति उनका रुख ईश्वरीय सुख से भटक कर विकृति एवं अश्लीलता की ओर चला गया। इस वजह से समाज में अपराध और यौन उत्पीड़न बढ़ गए हैं।
    आज की जीवन शैली को देखते हुए किशोरों को सेक्स के प्रति स्वस्थ और विवेकशील मार्ग दर्शन करने के लिए प्यार और सेक्स के बारे में हमारी सामाजिक मान्यताओं से परे परिवर्तन लाना आवश्यक है।

    सेक्स क्या है?

    सेक्स प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी जीवित प्राणियों के लिए संतानोत्पत्ति और अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने का एक जरिया है।
    सेक्स प्रकृति द्वारा प्रदत्त आनन्द और मनोरंजन का साधन भी है। प्रकृति एक विशेष उम्र के बाद हर प्राणी के नर और मादा को मिलन के लिए प्रेरित करती है।
    सेक्स का आवेग इतना तीव्र होता है कि नर का जननांग मादा के जननांग के मिलन के लिए और मादा नर के जननांग के लिए आतुर हो जाती है, यह क्रिया पूर्णतया नैसर्गिक होती है।
    सब प्राणियों में सेक्स के लिए सन्देश दिमाग से जननांगों तक जाता है, और जननांग सम्भोग के लिए उत्तेजित हो जाते हैं। फिर नर अपना लिंग नारी की योनि में प्रवेश करा के वीर्य को नारी की योनि में संचित होने के लिए छोड़ देता है।

    सेक्स के विचार से या किसी स्त्री के साथ सम्भोग की इच्छा होने से लिंग में खून के प्रवाह से तनाव आता है, लिंग से बिना रंग का चिकना पदार्थ रिसने लगता है। इसी तरह स्त्री के मन में सम्भोग की इच्छा या विचार आने से योनि में संकुचन और फैलाव होने लगता है। योनि से भी एक रंगहीन चिकना तरल पदार्थ निकलने लगता है। इस पदार्थ से लिंग और योनि को सम्भोग के समय घर्षण के दौरान चिकनाई मिलती है।

    मेरे अनजाने में मेरा लिंग क्यों खड़ा हो जाता है?

    अनजाने में लिंग का खड़ा होना बचपन से अधेड़ उम्र तक होता रहता है। किशोर उम्र और शुरुआती जवानी में लिंग बार बार खड़ा होना आम बात है। रोज रात में नींद में भी लिंग कई बार तन जाता है।
    यह इसलिए भी होता है कि आस पास कई तरह के सेक्स उत्तेजक मौजूद होते हैं। जैसे की सड़क पर जानवरों का सेक्स देखना, कोई उत्तेजक कहानी पढ़ना या उत्तेजक विचार आना, उत्तेजक फिल्म या चित्र देखना आदि, इसके बारे में चिन्ता की कोई बात नहीं।
    यह होना एकदम नैसर्गिक है।

    मुझे रात में स्वप्नदोष क्यों होता है?

    पहली बात यह है कि स्वप्नदोष कोई दोष या बीमारी नहीं है, सही शब्द है वीर्य स्खलन।
    वीर्य स्खलन प्रकृति का दिया सेफ्टी वाल्व है, यह कोई अप्राकृतिक क्रिया नहीं है। विवाह से पहले वीर्य को स्खलित होने के लिए योनि नहीं मिलने से नींद में जब लिंग तन जाता है तो उत्तेजनावश वीर्य स्खलित हो जाता है। अगर आपको सम्भोग का मौका मिले या आप हस्तमैथुन कर वीर्य स्खलित करें तो स्वप्नदोष बहुत कम हो जायेंगे।

    क्या स्वप्नदोष और हस्तमैथुन कमजोरी लाते हैं?

    यह भ्रम नीम-हकीमों द्वारा फैलाया गया है, सत्य कुछ और ही है। जैसा कि मैंने ऊपर कहा है ये दोनों सेफ्टी वाल्व हैं। हस्त मैथुन से आपके मन को शांति और स्फूर्ति मिलेगी। आप अपनी पढ़ाई या दूसरे काम में अच्छे से मन लगा सकेंगे।
    प्रकृति में देखो जो जानवर स्वतंत्रता से सेक्स करते हैं वो काफी बलवान और उर्जावान होते हैं। दूसरी ओर बैलों को देखो उन्हें बधिया कर सेक्स नहीं करने देने से वे कमजोर दिखते हैं। यानि की वीर्य स्खलन से कोई कमजोरी नहीं आती।

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